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Sunday, June 23, 2013

गोशाला का गोरख धंधा

    आजकल सभी धार्मिक चैनलो पर कथा ,प्रवचन कहने वाले साधु संतो की बाढ़ सी आयी हुयी है जिनमे कुछ महिला साधु भी है । लगभग सभी चैनलो पर ये कार्यक्रम निशुल्क होते है जब कार्यक्रम समाप्त होता है तो सभी वाचक अपने ट्रस्ट हेतु चंदा ,दान आदि देने के लिए आव्हान करते है ,बताया जाता है की फलां वाचक महाशय बहुत ही बड़े गौभक्त है ,इनकी बहुत सी जगह गौशालाये चल रही है आप भी इनके ट्रष्ट में दान कर अपने गौभक्त होने का प्रमाण दे और इनकम टेक्स की धारा 80 जी के तहत आयकर में छूट प्राप्त करे ।
   मुझे किसी के गौभक्त होने में कोई संसय नहीं है ,बात है गौशाला की आड़ में किये जा रहे व्यापार की । आप किसी भी गौशाला में चले जाइये शुबह शाम दूध लेने वालो की कतार लगी मिल जायेगी ,नहीं तो उनकी गाडी सीधे ही बाजार में सप्लाई दे रही होगी । लेकिन आप कहेंगे इसमें बुराई क्या है बिलकुल इसमें कोई बुराई नहीं है , मुझे जो बात परेशान करती है वो है बिना दूध देने वाली गायों,बुढी ,बीमार,बेसहारा गायो का गलियों में आवारा घूमना । जंहा कही भी देखिये आपको बेसहारा लाचार बिना दूध देने वाली गाय दिखाई दे देगी ,किसी गाय के मालिक के द्वारा गौपालन मुश्किल हो रहा हो और वो ये चाहता हो की उसकी गाय की देखभाल किसी गौशाला के द्वारा हो जाए तो उसके लिए उसे चार्ज देना पड़ता है । गौशाला दूध देने वाली स्वस्थ गाय को ही फ्री में रखने को तैयार होती ,बीमार और बिना दूध देने वाली गाय को रखने से इंकार कर दिया जाता है । मतलब साफ़ है यंहा सेवा भाव नहीं है केवल व्यापार है ।
     अब बात करते है इनकी कमाई की तो जन चर्चा ये है की गौशाला के पास अपना काफी बड़ा राजस्व होता है जिसे व्यापारी एवं जरूरतमंद को कम ब्याजदर पर देते है । अगर आपके पास दो नंबर का काला धन है तो उसको गाय के दूध के समान सफ़ेद और पवित्र बनाया जा सकता है ,मान लीजिये आपको 50,000रू सफ़ेद करने है तो आप 10,000 रू दान करदे और आप 50,000रू की पक्की रशीद प्राप्त कर लीजिये ।
     कुछ धर्म परायण गौ भक्तो को मेरी बाते शायद हजम ना हो पाये अगर उनके पास किसी ऐसी गौशाला का पताहै जो केवल बीमार और बगैर दूध देने वाली गायो को ही रखती हो तो मुझे भी बताये। मै उनका आभारी रहूँगा । 

Friday, June 7, 2013

तीन राजस्थानी कविताएं - सुनिए और मजे लीजिये

आज मै आपके लिए लाया हूँ बहुत ही शानदार राजस्थानी कविताएं जिसमे दो कविताये प्रसिद्ध कवी भागीरथ सिंह भाग्य की है व तीसरी कविता एक रोमांटिक गीत श्री राजकुमार जी बादल (भीलवाडा) का गाया हुआ है । एक कविता फस्गो देश लफंगा पिछली पोस्ट में आप पढ़ चुके है व अन्य कविता भी मै आपके लिए पढ़ने हेतु निकट भविष्य में पोस्ट करूंगा ।

Friday, May 10, 2013

फस्गो देश लफंगा मै- राजस्थानी कविता -भागीरथ सिंह भाग्य


आ रै साथी जतन करां फस्गो देश लफंगा मै ।
काळै मुह का धोळ पोशिया हाथ घिचौळै गंगा मै ॥

कोई रथ मै लांघ बान्ध रह्यो कोई लांघ खींच रह्यो है ।
कोई टोपी टेढी करकै दिन भर जाड भींच रह्यो है ॥
कोई चक्कर कै चक्कर मै देश धकेलै दंगा मै .. .....आ रै साथी जतन करां

कह कै नट ज्या बढ कै हट ज्या आ का सांग अणुता है ।
मंगता बणकै बोट मांग सी जीत्या पाछै जूता है ॥
जैपर को न्यूतो दे ज्यावै खुद लादै दरभंगा मै ... .....आ रै साथी जतन करां

जा मै दिन मै माता बोलै बांका मुजरा रातां मै ।
जा बहणा का चरण पखारै रात भाण बै बांथा मै ॥
अब देखो लूंड मरै लिपटै लाश तिरंगा मै ... .....आ रै साथी जतन करां

जनता सामी बाजीगर बणकै के के खेल दिखा रह्या है ।
जन विकास की लिया बान्दरी करज विदेशी खा रह्या है ।
गरज, हेकडी, नकटाई, बेशर्मी, आ भिखमंगा मै ........ आ रै साथी जतन करां


Thursday, April 25, 2013

रात्री के समय बिना फ्लैश के बेहतरीन फोटोग्राफी कैसे करे HOW TO DO BEST PHOTOSHOOT WITHOUT FLASH IN NIGHT TIME

        नमस्कार दोस्तों , मै आज आपको बताऊंगा की रात्री के समय साधारण कैमरे से बेहतरीन फोटोग्राफी कैसे की जाये । कैमरे के बारे में अगर आपका सामान्य ज्ञान कम है तो आप मेरी पिछली पोस्ट पढ़े ।
रात्री के समय फोटोग्राफी के लिए आपको चाहिए एक साधारण कैमरा , एक ट्राई पोड स्टैंड , और हलकी चांदनी रात ।

अब आपको बताता हूँ वो ट्रिक जिसके जरिये ये सब किया जाता है । आपके कैमरे में एक Night mode नामक ओपसन दिया जाता है आप इसको काम में ले सकते है । इसके लिए आपको  एक ट्राई पोड स्टैंड की जरूरत पड़ेगी क्यों की इस सेटिंग में कैमरे का अपर्चर ज्यादा समय तक खुला रहता है और आपका हाथ हिलने की संभावना बढ़ जाती है और फोटो में ब्लर आ जाता है ।

एक दूसरा रास्ता है ISO सेटिंग ,इस सेटिंग को आप अधिकतम पर सेट कर ले । ज्यदातर कैमरों में ये 200, 400, 800, 1600, 3200, 6400  आती है लेकिन आजकल के कुछ उन्नत कैमरों में इससे अधिक भी आती है । इसके लिए आप अपने कैमरे का मेनुअल चेक करे । किस सेटिंग में कैसा फोटो मिलेगा आप नीचे के चित्रों से समझ जायेंगे जिनमे अलग अलग सेटिंग का उदाहरण दिया गया है ।

इस में एक ख़ास बात का ध्यान जरूर रखे की डिजिटल या ओप्टिकल ज़ूम नहीं करे |

ISO SETTING - 3200

ISO SETTING - 1600
ISO SETTING - 800


ISO SETTING - 400

Sunday, April 21, 2013

जोब पोर्टल की हकीकत A TRUE FACT ABOUT JOB PORTAL

      आजकल एक अच्छी नौकरी मिलना और नियोक्ता को एक योग्य कर्मचारी मिलना बहुत ही टेढी खीर है । नियोक्ता और बेरोजगार आवेदक का मेल करवाने मे जोब पोर्टल की अहम भूमिका है , इस क्षेत्र मे अब छोटे से लेकर बडे बडे ग्रुप तक सक्रिय है ।

जब से मै अफगानिस्तान से आया हू मै भी नये जोब की तलाश मे हू , इसलिये मै ने भी इसी प्रकार एक जोब पोर्टल से जुड्ने की सोची । और मुझे इनमे टाईम्स ग्रुप का टाईम्स जोब्स ( http://timesjobs.com) जम गया सोचा कि बडा ग्रुप है शायद कुछ अच्छा ही रहेगा ।

    शुरूआत करने के लिये इस मे आप को अपना रजीस्ट्रेशन करवाना पड्ता है , जिसमे आपका पूरा ब्यौरा जैसे कि नाम पता मोबाइल नम्बर,मेल आई डी आदि देना पडता है । उसमे आप अपना रेज्युम ,अपने प्रमाण पत्र आदि अप्लोड कर देते है । उसके बाद आप इस पोर्टल पर अपनी योग्यता का जोब ढूंढ कर अप्लाई के टेब पर क्लिक कर देते है और आपको मेसेज मिल जाता है कि आपकी अप्लिकेशन सम्बन्धित कम्पनी मे भेज दी गयी है । इस प्रकार आप दिन भर मे अन गिनत जोब हेतु अप्लाई कर सकते है ।

   अगर आप ने दो चार दिन से किसी एक जोब के लिये अप्लाई किय तब तो आपको कोइ नोटिस नहि लेगा लेकिन अगर आप ने  एक ही दिन मे 10-15 जोब अप्लिकेशन भेजी तो आपको उचित पात्र समझ कर टाईम्स जोब्स का प्रतिनिधी आपको फोन करेगा और आपको आप के  अनुभव और आपकी योग्यता के बारे मे पूछेगा और आपको कहेगा कि आप उनकी पेड सर्विस के लिये रजीस्टर करे आपको जोब जल्दी मिल जायेगा ,उसके लिये आप को उनके बैंक अकाउंट मे 2400 रूपये जमा करवाने के लिये कहा जायेगा ,और जब तक आप वो पैसे जमा नहि करवायेंगे तब तक उनका फोन दिन मे चार-पांच बार आयेगा रूपये जमा करवाने पर बैंक वाला आप को  ट्रांजेक्शन आई डी देगा उस आई डी को पाने के लिये उनके प्रतिनिधी का बार बार फोन आयेगा जैसे ही आप वो आई डी बतायेंगे उसके बाद फोन आना बन्द हो जायेगा ।

2400 रूपये मे आपको जो सर्विस दी जाती है उसे वो रेज्युम प्रसार सर्विस कहा जाता है इसमे कहा जाता है कि आपका सीवी इन जोब प्लेसमेंट एजेंसीज मे भेज दिया गया है जिस्मे 100-150 फ़र्जी प्लेस्मेंट एजेंसीज के नाम होते है , । अब आपको कुछ करने की आवश्यकता नही है इंतजार कीजिये दो हफ्ते बाद आपके पास जोब कंसल्टेंट के फोन और काल आने शुरू हो जायेंगे , लेकिन नतीजा शुन्य किसी का भी फोन नही आयेगा ......... ये ही सच्चाई है कुछ दिन बाद आपसे प्रतिनिधी दुबारा सम्पर्क करेगा और आपसे प्रीमियम सर्विस लेने के लिये आग्रह करेगा और कहेगा कि आपका रेज्युम प्रोफेशनल नही है ,आप हमारे प्रोफेशनल के द्वारा अपना रेज्युम बनवा लीजिये जिसके लिये आपको .....रूपये चुकाने है । अब आप ये सोचेंगे कि अगर ये रूपये दे दिये तो शायद काम बन जाये और अगर ना दिये तो पहले के 2400 रूपये भी पानी मे चले जायेंगे । सो आप उनकी इन जालसाजियो मे आकर रूपये चुकाते चले जाते है और नतीजा जीरो .....
मै खुद इस वाकिये क शिकार हू , जब मैने उनके प्रतिनिधी से पूछा कि जो 2400 रूपये दिये है उसी समय आप एक मुश्त क्यो नही ले लेते बार बार किश्तो मे क्यो मांग करते है । जो जोब प्लेसमेंट एजेंसीज कि लिस्ट भेजी जाती है उसमे उनकी मेल आईडी या फोन नम्बर या वेब अड्रेस नही दिया रहता है । मै कैसे मान लू कि मेरा सीवी इन कम्पनीयो को भेजा गया है क्यो कि मेरे पास 1 महीने तक् किसी का भी मेसेज नही आया है कि उनके पास मेरे लायक जोब है या नही है । हा मेरे मैल बोक्स मे स्पैम मैल कि संख्या जरूर बढ गयी है ।
मेरा इस पोस्ट को लिखने का इरादा किसी ग्रुप विशेष कि बुराई करना नही है बल्कि बेरोजगार लोगो का समय और धन बर्बाद ना हो केवल इतना ही है , अगर आपका भी कभी इस प्रकार कि किसी एजेंसी से पाला पडा हो तो अपने विचार और अनुभव यहा जरूर शेयर करे ।

Friday, April 12, 2013

अफगानिस्तान से वापसी पार्ट २

      आपने अफगानिस्तान के बारे में काफी कुछ पिछले भाग में पढ़ लिया अब उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दूसरा भाग ।
6. काम काज का वातावरण -  वंहा पर काम काज के लिए वातावरण बहुत अच्छा है , मुझे तो बहुत अच्छा लगा क्यों की भारतीय कम्पनीयों की तरह (खास कर छोटी कंपनी ) शोषण नहीं होता है , आपका सुपरवाइजर आपका पूरा ख्याल रखता है जैसे स्कूली बच्चो का उनका अध्यापक रखता है । न केवल काम के समय बल्कि कार्य समय के बाद भी आपके खाने का आपके सोने का पूरा ध्यान रखता है , ऑफिस में पूरा प्रोफेशनल वातावरण रहता है , आपको जो काम दिया जाता है उसके अतिरिक्त आपको कुछ भी नहीं करना पड़ता है भले ही आप खाली बैठे रहो , मूवी देखो ,ओफीस के बाहर स्मोकिंग करो या चाय कोफी के साथ गपशप लड़ाओ  ।


आर्मी का रूम 
सिविलियन का  रूम
7. अमेरिकन आर्मी - अमेरिकन आर्मी बहुत शिक्षित शालीन और अनुशासन पसंद है , वंहा सिपाही से लेकर मेजर तक सभी एक जैसी ड्रेस पहनते है । दुसरे देश खास कर भारतीय लोगो का बड़ा आदर करते है । सुरक्षा के मामले में वो सभी के साथ समान नजरिया रखते है केवल अमेरिकन नागरिक को थोड़ी नियमो में ढील मिलती है , बाकी सबके लिए सामान नियम है  । आर्मी की ट्रेनिग बहुत कड़ी होती है इस लिए सिपाही एक अच्छा कुक ,एक अच्छा ड्राइवर ,एक अच्छा लडाका होता है । महिला सिपाही और पुरूष सिपाहियों में कोई भेदभाव नहीं होता है समान वेतन समान कार्य दिया जाता है |

कोलोम्बिया हेलिकोपप्टर कंटेनर को ले जाते हुये 

रोकेट हमले से ध्वस्त हुआ केम्प क एक भाग 



8.सुरक्षा व्यवस्था - यंहा पर जो सिविलियन नागरिक काम करते है उनकी सुरक्षा वयवस्था का जिम्मा अमेरिकन आर्मी का है , सभी  को बुलेट प्रूफ जैकेट और  हेलमेट दिया जाता है , हालाँकि उसकी जरूरत केवल हेलिकोप्टर की यात्रा के लिए ही करनी पड़ती है बाकी समय तो बहुत कम जरूरत होती है या कभी कभार खतरा बढ़ जता है तब  पहना पड़ता है ।

अगर आपको अन्य कोइ जानकारी चाहिये तो टिप्पनी करे ।

Thursday, March 14, 2013

अफ़ग़ानिस्तान से वापसी

सभी पाठको और मित्रो को प्रणाम । 16 महीने की मजदूरी करने के बाद अब ये ब्लोगर वापिस घर आ गया है । हालांकि इस दरमियाँ ब्लॉग जगत से दूरी ही बनी हुयी थी कुछ सुरक्षा कारणों के चलते और कुछ विदेशी नौकरी के नियमो के चलते ब्लॉग जगत से दूरी बनाये रखने की मजबूरी सहनी पडी । लेकिन अब सारी बंदिशे हट चुकी है | इस लिए अब मै आराम से आपको वंहा के हालात बता सकता हूँ ।

1. आवास व अन्य जनरल सुविधाए-  वंहा रहने के लिए सभी लोगो के लिए टेंट बने हुए थे । जिसमे वाटर प्रूफ कपडे की दोहरी दीवार होती है । अन्दर तापमान को नियंत्रित करने के लिए बड़ी साईज की एयर कंडीशन और डीजल फायर हीटर लगे थे;जिससे अन्दर का तापमान लगभग 20 से 25 डिग्री रहता था  । सभी के लिए बढ़िया क्वालिटी के गद्दे और मिंक के कम्बल दिए हुये थे । टेंट के अन्दर धुम्र पान की सख्त मनाही थी । नहाने के लिए गरम और ठंडा पानी २४ घंटे उपलब्ध रहता था । कपडे धोने के लिए लौंड्री की सुविधा दी गयी थी जिसमे आप अपने कपडे सप्ताह में एक बार धो सकते है (डिटर्जेंट फ्री ) ।


2 . खाना पीना - सुबह नाश्ता ,दोपहर का खाना ,रात्री का खाना ( अंडे ,आमलेट ,ब्रेड ,फ्रूट ,दूध ,केक,बिस्किट ,हैस ब्राउन ,ग्रीट,बॉईल राईस ,बॉईल की हुयी सब्जिया ) ये सब रहता था केवल तय समय पर बाकी चाय ,कोफी ,शीतल पेय आदी की सुविधा 24 घंटे रहती थी । इसके अलावा आप अपने ऑफिस में भी ओवन में थोडा बहुत बना सकते है ।

3 .वातावरण - वंहा का वातावरण भी भारत की तरह भोगोलिकता के आधार पर बदलता रहता है ।जंहा मै रहा था ,वो स्थान समुद्रतल से बहुत ऊँचाई पर था वंहा बरसात बहुत कम होती थी बर्फबारी ही होती थी । बर्फ गिरनी जनवरी से शुरू होती है और मई में पिघलती है तापमान न्यूनतम माइनस १५ डिग्री अधिकतम ३५ डिग्री सेन्टीग्रेड रहता है ।

4 .यातयात एवं परिवहन - यातयात के साधन के रूप में हेलीकोप्टर ही मुख्य साधन थे । जिसकी क्षमता ८ यात्री २ चालक एक सह चालक और १ टन सामान को ढो सकते है । सड़क मार्ग से केवल रसद व अन्य भारी सामान आता जाता था , वो भी सेना की निगरानी में । केम्प के अन्दर घूमने फिरने और अन्य कार्यो हेतु विभिन्न मोडल की गाडिया काम में ली जाती थी ।

5 . विधुत व्यवस्था - इस मामले में अफगानिस्तान बहुत पिछड़ा हुआ है , बिजली के लिए सभी को जेनरेटर पर निर्भर रहना पड़ता है । सेना के केम्प में भी इसी से बिजली का निर्माण किया जाता है । सुरक्षा कारणों के चलते बाहर रोशनी नहीं की जाती है केवल टेंट के अन्दर या अन्य अंदरूनी जगहों पर ही रोशनी की जाती है । बाहर आपको टोर्च पर निर्भर रहना पड़ता है ।
   शेष अगले भाग में ( अगर आपको कोइ अन्य जानकारी चाहिए तो टिप्पणी करे । )