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Tuesday, July 19, 2011

बंजारे का मोबाईल और संगीत (shedule post)

रोजाना कि भागदौड में कभी कभी आपको दूसरों कि जिंदगी में टाक झाँक का  भी अवसर मिल जाता है | कुछ लोग उन बातो को दूसरों के साथ साझा कर लेते है कुछ लोग अपने मन में ही रख लेते है | एक दिन एक बंजारा मेरी दूकान पर आया और अपने फोन को चार्जिंग में लगाने की मिन्नत की मैंने भी उसका सहयोग किया जो कि मेरा हमेशा ही नियम रहा है दूकान पर कोइ भी आये सभी की सहायता करता हूँ | वो भाई थोड़ी देर में आने का कह कर निकल गया और मै लग गया उसके मोबाईल से डाटा चोरी करने में अब चोरी की है तो माल आपको भी दिखा दू  उसके मोबाईल में क्या था ,वैसे तो कुछ खास नहीं था लेकिन आपके और मेरे काम का तो संगीत ही है वो आप भी सुन लीजिए |

एक हिन्दी भाषी ब्लॉगर का दर्द

        ये पोस्ट हमारे हिन्दी ब्लॉगर मित्र हरि राम जी ,जो शेखावाटी से है के द्वारा भेजी गयी मेल पर आधारित है | उनको काफी दिनो बाद पोस्ट लिखने पर मैंने उलाहना दिया था तो जवाब में उन्होंने जो मेल मुझे भेजी वो मै आपको ज्यो कि त्यों पढ़वाता हूँ | एक बात और मै आपको बता दू कि हरिराम जी हिन्दी के उन गिनेचुने ब्लौगरो में से है जिन्हें ब्लॉग जगत में नीव की ईंट कहा जाता है | और इनका ब्लॉग जगत में हिन्दी के प्रचार प्रसार में बहुत योगदान रहा है |
        "भाई नरेश जी , पिछले ढाई वर्ष से मेरा स्थानान्तरण भुवनेश्वर से 150 कि.मी. दूर स्थित कारखाने में हो गया है। कुछ राजनैतिक शक्ति वाले दुष्ट अधिकारियों के कोप से। रोज सुबह छह बजे निकलना और रात 11 बजे वापस पहुँचना। शनिवार 25 जून को रात 11.30 बजे घर लौटा, भोजन करके सबके सो जाने के बाद रात करीब साढ़े बारह बजे अर्थात 26.06.2011 को 00.30 बजे यह ब्लॉग पोस्ट कर पाया।

लेपटाप साथ लेकर घूमता हूँ, पर इण्टरनेट कनेक्शन नदारद मिलता है।
BSNL 3G Data card लिया है, पर यह तो एक धोखा है जनता के साथ। भुवनेश्वर तथा कुछ महानगरों के कुछेक मोबाईल टावर के पास तो 10kbps की स्पीड मिल पाती है, किन्तु नगर से 10 किलोमीटर दूर निकलते ही इण्टरनेट कनेक्ट ही नहीं हो पाता है, यदि कनेक्ट हो भी गया तो 0-kbps की स्पीड दर्शाता है।

अखबारों में पढ़ने को मिलता है सभी रेलवे लाइनों के किनारे फाईबर ऑप्टिक केबल बिछाए गए हैं, बहुमुखी संचार के लिए। किन्तु प्रैक्टिकल में मोबाईल सिग्नल भी चलती रेलगाड़ी में नदारद मिलता है। विशेषकर इस क्षेत्र में।

2G स्पैम में भारत सरकार का 1 लाख करोड़ का राजस्व लूटा गया, अब 3G स्पैम में तो शायद 1 अरब करोड़ रुपये खुले आम लूटे जाएँगे आम जनता से।

लेपटॉप खरीदकर सोचा था कि ट्रेन या बस में आते-जाते कुछ समय का सदुपयोग कर हिन्दी के तकनीकी विकास में सहयोग करूँगा।
लेकिन बसों में तो भीड़ में खडे़ होने की भी जगह मुश्किल से मिल पाती है। यदि सीट मिल गई तो ऊबड़ खाबड़ रास्तों में जर्किंग में लेपटाप पर अंगुली कहीं की कहीं लग जाती है और कोई फाइल डिलिट हो जाती है या कुछ गड़ बड़ी हो जाती है। ट्रेन में यदि सीट मिल गई तो कुछ काम पाता हूँ, चलते चलते।

रात को 11 बजे घर लौटने पर थके हारे कुछ करना तो संभव ही नहीं होता। सुबह 4 बजे उठकर तैयार 6 बजे घर से भागने के बीच चाय-नाश्ता तक नसीब नहीं हो पाता। भूखे ही भागना पड़ता है। तुलसी का पत्ता तक मुँह में डालने को अक्सर समय नहीं मिल पाता।

फैक्टरी में तो मोबाईल भी allowed नहीं होता। laptop तो दूर की बात है।

मेरी जगह भुवनेश्वर में जिस वरिष्ठ अधिकारी को बैठाया गया है, उनके साले साहब सांसद(कम्प्यूनिस्ट के) हो गए हैं। वे वरिष्ठ हिन्दी अधिकारी महोदय हैं पर हिन्दी में एक पेज में 50 से कम गलतियाँ नहीं करते, फिर भी किसी की मजाल कि कोई उनसे कुछ कह पाएँ। यदि हम उनकी भलाई के लिए भी कुछ सुधार की बात कह देते हैं तो हमें जान से मारने की धमकी देते हैं।

भैया कैसा जमाना है? सही काम करनेवालों को लिए या अच्छे लोगों के लिए यह दुनिया नहीं है। सीधे कहते हैं-- यदि अच्छे आदमी हो तो स्वर्ग में जाओ, इस नरक में क्यों पड़े हो, सुसाईड कर लो।

यह रावण राज्य है, जहाँ ऋषि-मुनियों को भी अपना खून निकाल-निकाल कर घड़े भर कर टैक्स रूप में देना पड़ता है। 

(Blood Bank के घोटालों का पता चला था, लोगों से रक्तदान लिया जाता है, विभिन्न अवसरों पर धर्म या देशभक्ति का भुलावा देकर। किन्तु खून की खेप विभिन्न विदेशी दवा कम्पनियों को बेच दी जाती है, जो उससे कई प्रकार टानिक आदि बनाकर करोड़ों में बेचती है।)

कब्रों से कंकाल व खोपड़ियाँ चुराकर भी बेच दी जाती हैं।

खैर, जिन्दा हैं इस आशा पर कि शायद कभी रात बीतेगी, हमारा दिन आएगा!

आपकी प्रेरक टिप्पणी के लिए बहुत धन्यवाद। कृपया अपनी सद्भावानाएँ प्रेषित करते रहें।

-- हरिराम   (प्रगत भारत ) http://hariraama.blogspot.com