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Saturday, October 16, 2010

शेखावाटी से जुड़े हुए हिन्दी ब्लोगर (परिचय )

शेखावाटी का सीधी भाषा में अर्थ है राजस्थान राज्य के तीन जिले झुंझुनू ,सीकर और चुरू | इन जिलों में अनेक हिन्दी ब्लोगर है | कुछ को मै ढूंढ पाया कुछ को शायद नहीं | कई बार कुछ लेखक ब्लॉग बनाकर छोड़ देते है उस पर कुछ लिखते ही नहीं है मैने उन्हें शामिल नहीं किया है | इस पोस्ट में उन लोगो को शामिल किया गया है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शेखावाटी क्षेत्र से जुड़े हुए है |

सबसे पहला नाम है संजय बेगानी जी का ,ये किसी परिचय के मोहताज नहीं है हिन्दी बलोग जगत में जाना पहचाना नाम है | लेकिन लोग इन्हें अहमदाबाद के निवासी के रूप में ही जानते है | इनका मूल गाँव बीदासर के पास में है | जो की चुरू जिले में आता है | लेकिन अब ये अहमदाबाद में रहते है और अपनी मीडिया कंपनी चलाते है | इनका वेब पेज जोग लिखी: संजय बेगानी का ब्लॉग है | और तरकस डोट कोम को तो आप सभी जानते ही है | इनके भाई भी हिन्दी ब्लॉग लेखक है |

दूसरा बड़ा नाम है ताऊ रामपुरिया का ये भी हमारे नजदीकी जिले सीकर के कस्बा पाटन के पास के ही रहने वाले है | ये बहुत ही ज्ञानी है इस लिए इन्होने अपना असली नाम गुप्त रख कर ताऊ ही रख लिया है | आजकल इन्होने अपनी कर्म स्थली इंदौर (म.प्र. ) को बना रखी है | इनके वेब पेज का नाम रामपुरिया का हरियाणवी ताऊ नामा है | वाकई हिन्दी बलोग जगत में ताऊ के जैसी इमेज भी है इनकी | इनकी भाषा शैली हरियाणवी मिश्रित है जो बहुत मजेदार लगती है |

तीसरा बड़ा नाम है रतन सिंह शेखावत का इनका गाँव है भगत पूरा जो की सीकर जिले में है | काम काज के सिल सिले में ये फरीदा बाद में रहते है | इनके ब्लॉग भगतपुरा गाँव के बारे ,ज्ञान दर्पण ,राजपूत वर्ल्ड ,तन सिंह जी (बाड़मेर ) आदि है | ये तकनीक के महारथी भी है अगर किसी को अपनी वेबसाईट बनवाना हो या डोमेन नेम लेना हो तो इनसे संपर्क किया जा सकता है |

चौथा एक बड़ा नाम है डॉ. मिहिर धाबाई का ,ये सीकर शहर में रहते है | यंहा इनका निजी क्लिनिक है | इनके ब्लॉग दो है एक है तत्वचर्चा दूसरा है स्वास्थ्य चर्चा ,इसमे त्वचा सम्बन्धी लेख लिखते है | तत्व चर्चा में ताजा सामाजिक घटनाओं पर चर्चा करते है |

पांचवा बड़ा नाम है, हरी राम जी का ये भी सीकर के रहने वाले है लेकिन आजकल दक्षिण भारत में रोजी रोटी के कारण रहते है | ये हिन्दी को कंप्यूटर पर बढ़ावा देने में बहुत ही अग्रणी रहे है | हिन्दी प्रेम इनके रग रग में बसा हुआ है पुराने स्थापित ब्लोगर इन्हें बखूबी पहचानते है | आजकल काम काज की व्यस्तता के चलते ये निष्क्रिय है | लेकिन जो इन्होने लिखा है वो हम जैसे नए बलोगरो का मार्ग दर्शन कर रहा है | इनका ब्लॉग है प्रगत भारत |

बाकी सब छोटे मोटे ब्लोगर है , मेरे जैसे जिनमे हमारे दोस्त सुरेन्द्रजी भाम्बू जिनको हमने बलोगिंग का ऐसा शौक लगाया की लगातार पोस्ट पेलते रहते है | इनका ब्लॉग इनके गाँव मालीगांव के नाम पर बनाया गया है | इनकी कर्म स्थली बगड़ यानी की हमारा कस्बा ही है | यहां पर इनकी कम्प्यूटर आर्टस एंड फोटोग्राफी की दूकान है |

झुंझुनू जिले के बिसाऊ कस्बे के रहने वाले बलोगर भाई मुकेश मीणा ने बहुत अच्छा ब्लॉग बना रखा है | इनका ब्लॉग जनताकी आवाज नाम से है | इनसे अभी ज्यादा परिचय नहीं हुआ है |

अब बात करते है एक एसे बलोगर की जो आजकल निष्क्रिय है | ये है राजेश चौधरी ये झुंझुनू जिले से है गाँव का पता नहीं चला है | इनका ब्लॉग है उदयमान भारत | जिसमें इन होने जीनोलोजी के बारे में लिखा है |

एक ब्लोगर है विनोद कुमार शिवरायण जिनका ब्लॉग उनके नाम पर शिवरायण कुमार विनोद ही है | लेकिन आजकल निष्क्रिय है |

एक और बलोगर है उम्मेद जी जिनका ब्लॉग अभिव्यक्ति के नाम से है | ये चुरू के रहने वाले है | पेशे से कोलेज लेक्चरार है | इनका ब्लॉग बहुत सुंदर चित्रों व जानकारियों से भरपूर है | ये सभी प्रकार की पोस्ट लिखते है जिनमे राजस्थानी कविताएं भी शामिल है |

अपडेट -बाद में कुछ साथी बलोगरो ने निम्न नाम और भी सुझाए है |
इनमे एक नाम है भास्कर भारद्वाज जी का ये जयपुर में रहते है | एक इंटरनेशनल इवेन्ट कंपनी में काम करते है |ये रामगढ़ (शेखावाटी )के रहने वाले है | इनका ब्लॉग है भास्कर टाईम्स जिसमे ये विभिन्न प्रकार के तकनीकी लेख लिखते है |

एक नाम है दूला राम जी सहारण का ये पेशे से वकील है | चुरू के रहने वाले है | इनका बलोग है इन दिनों ... इसमें ये आजकल के हालात पर लिखते है | दूसरे और भी बहुत से बलोग बना रखे है |

फ़तेह पुर शेखावाटी के रहने वाले श्री अंकित जी बूबना ने बहुत सुन्दर बलोग बना रखा है | इस ब्लॉग की सुन्दरता की जितनी तारीफ़ की जाए उतना कम है | इस बलोग का नाम है फतेहपुर शेखावाटी रो बलोग |

इसी कड़ी में बाद में अपडेट प्राप्त हुए है जिसमे एक ब्लॉग है बहती धारा इस ब्लॉग के लेखक है संदीप कुमार मील | ये दिल्ली विश्वविद्यालय से पढाई कर रहे है ये नवलगढ के पास के रहनेवाले है |

महिला ब्लोगर ,डॉ.मोनिका जी है जिनका ब्लॉग परवाज ....शब्दों के पंख है | अगली पोस्ट में मोनिका जी बारे में विस्तार से लिखूंगा

और अंत में हम अपने बारे में क्या कहे आप जब यंहा तक आ ही गए है तो हमारे बारे में भी जान ही जायेंगे |

अपडेट
-हमारे कुछ खास बलोग्गर भी इस लिस्ट में जुडने से रह गए थे | इनका नाम है डॉ.जीतेन्दर ( जीतू) बगडिया | ये अभी जयपुर से मेडीकल की पढाई कर रहे है | इनके ब्लॉग का नाम एक कदम दूसरों के लिये है |ये भी सीकर जिले के रहने वाले है |

श्री विश्वनाथ जी सैनी  नवलगढ़ के पास झाझड गांव के रहने वाले है | ये गाँव झुंझुनू जिले में आता है | सैनी जी राजस्थान पत्रिका के चुरू कार्यालय में कार्यरत है | इनके बलोग का नाम है खबरो का अड्डा   इस बलोग में स्थानीय खबरों का विस्तार से प्रकाशन किया जाता है |
(आप सब पाठक मित्रो से अनुरोध है अगर आप किसी भी अन्य ब्लोगर को जानते है जो राजस्थान के झुंझुनू सीकर और चुरू जिले से जुडा हुआ है तो हमें भूल सुधार हेतु जरूर बताये )

राजनैतिक दल एवं क्षत्रिय
पहेली से परेशान राजा और बुद्धिमान ताऊ
माली गाँव :मन मोहक नजारा गणेशोत्सव की झांकी का

Wednesday, October 13, 2010

गर्व ,गरबा और गुजरात ( एक झलक संगीत की )

गर्व और गौरव से भरपूर है, गुजरात की धरती | इस धरती को अगर नजदीक से जानना है तो आपको इसके पास जाना पडेगा | गुजराती समाज की विशेषताए इतनी है कि मै अपने शब्दों में शायद बयान नहीं कर पाऊंगा | मै ने इस की सस्कृति को , समाज को गुजरात में कुछ समय रहकर ही नजदीक से जाना है |

मै १० साल तक गुजरात के सूरत शहर में रहा था | वंहा इन गुजराती भईयो से इतना घुलमिल गया था कि मुझे राजस्थान व गुजरात में ज्यादा फर्क ही नहीं लगता था | गुजरात में नवरात्र से ही त्योहारों का उत्साह देखते ही बनता है | जवान लड़के लडकिया नवरात्रो से पहले ही अपनी रंग बिरगी पोशाको को तैयार कर लेते है | गरबा और डांडिया कि कोचिंग क्लास में जाना शुरू कर देते है |

सारा वातावरण गरबामय हो जाता है | जगह जगह गलियों में सोसाईटी में गरबा का आयोजन किया जाता है | बीच में मा दुर्गा की एक बड़ी सी फोटो या मूर्ती रखी जाती है | और नृत्य करने वाले उसके चारो और घेरा बनाकर नृत्य करते है बीच में एक गाने वाला और एक ढोल बजाने वाला बैठता है | बहुत सुंदर दृश्य होता है |

अब मै चाहता हूँ कि आपको भी ज्यादा बोर न किया जाए और गरबा के गीत सुनाये जाए | ये गीत गरबा की तीन कैसेट से लिये गए है | जिनके नाम है टहूको, चुन्दडी और खेलैया | तीनो कैसेट में सभी गीत एक से बढ़ कर एक है | मुझे आपको सुनवाने हेतु इसमे से गीत छंटने में भी बहुत परेशानी आयी, किसे रखू और किसे छोडू |



माली गाँव :मन मोहक नजारा गणेशोत्सव की झांकी का
एक वीर जिसने दो बार वीर गति प्राप्त की
राजस्थान के लोक देवता
बगड टाईम्स : बगड गाँव का ब्लॉग

Friday, October 8, 2010

मंडावा के बैध जी (एक रोचक दास्तान )



       मंडावा शेखावाटी का एक दर्शनीय स्थल है | प्राचीन कस्बा है | सेठ साहूकार और रजवाडो का गाँव मंडावा झुंझुनू से बीकानेर के रास्ते में झुंझुनू से 27 कि.मी. है | वहां हमेशा देशी विदेशी सैलानियों की आवा जाही बनी रहती है | जिसके चलते बहुत से लोगो का पेशा पर्यटन से परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है |
किसी समय में मेरा भी यहां रोजी रोटी का सम्बन्ध रहा है |10 -12 साल पहले यहां एक फर्नीचर निर्यात करने वाली कंपनी (हाई लैंड हाऊस प्रा.ली.) का कारखाना हुआ करता था | मै भी उस कारखाने में काम करता था | काम जैसा दूसरे कारखानों में होता है वैसा बिलकुल नहीं था | यहां एक दम सरकारी काम था | 10 मजदूर, उन पर मेरे जैसे 5 सुपरवाइज़र यानी की सारा दिन ताश पाती खेलने और गप्पे हांकने में बीतता था | उसी समय का यह किस्सा जो दोस्तों की ज़बानी सुना वही बता रहा हूँ |

वहां गाँव में एक बैधजी हुआ करते थे | उनको आस पास में लोग बहुत मानते थे और पुराने समय में दूर दूर तक कोइ अच्छा डॉक्टर भी नहीं मिलता था | सो बैधजी के यहां काफी भीड़ भी रहती थी वैध जी सभी की तन और मन से सेवा करते थे | उनके परोपकार की भावना से ही लोग ठीक भी हो जाते थे |


          एक बार एक औरत अपने छोटे बच्चे को लेकर आयी उसे शायद कोइ बुखार जैसी बीमारी थी, लेकिन बच्चा एक दम मरियल सा था | बैधजी ने अपनी 10 मिली वाली सिरिंज में इंजैक्शन भरा और बालक के लगाया | अचानक उस औरत का ध्यान नीचे की और गया और वो बोली "ओ बैधजी यो के कर रया हो थे, सारी दवाई तो नीचे ही बिखर गयी" | हुआ यू की बालक का हाथ बहुत पतला था और सिरिंज बड़ी वाली सो सूई बालक के हाथ के पार हो गयी थी और दवा सारी की सारी जमीन पर बिखर गयी थी | अब बैधजी ने उत्तर दिया " अरे बावली बूच तैने बेरो कोनी जितनी शरीर मै मांग थी उतनी दवाई शरीर रख ली बाकी की बारे नै निकाल दी है |"
   
                इस प्रकार के वैध जी जी भी अपने समय के सफल बैध थे | ये उनके निःस्वार्थ सेवा का ही प्रतिफल था | की लोगो की सभी बीमारियां एक ही दवा से ठीक हो जाती थी | और उनका दर्जा आज कल के झोला झाप डाक्टरों से कही ज्यादा ऊंचा था |

राम राम

माली गाँव :मन मोहक नजारा गणेशोत्सव की झांकी का
पहेली से परेशान राजा और बुद्धिमान ताऊ

राजस्थान के लोक देवता