नीचे लिखे हुये दोहे राजस्थानी भाषा मे है नीचे अंत मे कुछ कठिन शब्दों के
हिन्दी अर्थ भी दिये है फिर भी किसी पाठक को समझ मे नही आये तो वो
टिप्पणी के रूप मे या मेल द्वारा पूछ सकते है
मत पूछे के ठाठ भायला | पोळी मै खाट भायला ||
पनघट पायल बाज्या करती ,सुगनु चुड़लो हाथा मै |
रूप रंगा रा मेला भरता ,रस बरस्या करतो बातां मै |
हान्स हान्स कामन घणी पूछती , के के गुज़री रात्यां मै |
घूंघट माई लजा बीनणी ,पल्लो देती दांता मै |
नीर बिहुणी हुई बावड़ी , सूना पणघट घाट भायला |
पोळी मै है खाट भायला ||
मांग हींगलू नथ रो मोती ,माथे रखडी सांकली |
जगमग जगमग दिवलो जुगतो ,पळका पाडता गैणा मै |
घनै हेत सूं सेज सजाती ,काजल सारयां नैणा मै |
उन नैणा मै जाळा पड़गा ,देख्या करता बाट भायला |
पोळी मै खाट भायला||
अतर छिडकतो पान चबातो नैलै ऊपर दैलो |
दुनिया कैती कामणगारो ,अपने जुग को छैलो हो |
पण बैरी की डाढ रूपि ना, इतनों बळ हो लाठी मैं |
तन को बळ मन को जोश झळकणो ,मूंछा हाली आंटी मै |||
इब तो म्हारो राम रूखाळो , मिलगा दोनूं पाट भायला |
पोळी मै खाट भायला||
गोडा मांई पाणी पडगो जोर बच्यो नी हाथां मै |
हाड हाड मै पीड पळै है रोम रोम है अबखाई |
छाती कै मा कफ घरडावै खाल डील की है लटक्याई ||
चिटियो म्हारो साथी बणगो ,डगमग हालै टाट भायला |
पोळी मै है खाट भायला ||
भायला -दोस्त
पोळी - घर का मुख्य दरवाजा जहा मेहमानों को बैठाया जाता है | राजस्थानी घरो में पुराणी परम्परा के अनुसार मेहमानखाना दो दरवाजो का होता है | उसकी छत कच्ची होती है घर में जाने का मार्ग उसमे से होकर जाता है |
बरस्या- बरसना
कामण - कमनिय औरत
घणी - ज्यादा
बीनणी- वधु
नीर बिहुणी - बिना पानी के
कांचळी - अंगिया (वस्त्र)
हीन्गळू -मांग भरने का सिन्दूर
नथ- नाक का गहना
रखडी - माथे के उप्पर पहनने का गहना
सान्कळी- (जंजीर रूपी गहना जो माथे पर बांथा जाता है )
दिवलो -दीपक
जुगतो- जलना , प्रकाशमान होना
पळका - चोन्ध्याने की क्रिया
गैणा- गहना
सारया - खैंचना ( आँखों में काजल की लाइन खीचने का भाव )
बाट - इंतजार करना
अतर - इत्र
कैती- कहती
जुग - समय
पण- परन्तु
हाळी - वाली
रूखाळो- रखवाला
मिलगा दोनू पाट - विचार हीन होना ,दुनिया दारी से आँखे बंद कर लेना
गोडा- घुटना
हाड - हड्डियां
पीड़ पळै - दर्द बढ़ना
अबखायी - शारीरिक परेशानी
घर्डावै- घर्र घर्र की आवाज आना
डील - देही
चिटियो - बूढे आदमियों के सहारे के लिए बनी लकडी जो ऊपर से मुडी हुई होती है |
डगमग - ज्यादा हिलना डुलना
टाट - खोपडी