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Wednesday, December 31, 2008

अपने I P एड्रेस के बारे मे जानिये

आप अपने I P एड्रेस के बारे में कितना जानते है | आप को जो मेल भेजी गयी है वह कहां से भेजी गयी है ? क्या आप के I P एड्रेस से आप को ढूँढा जा सकता है ? कहीं आपका I P एड्रेस ब्लैक लिस्टेड तो नही है ? आप अपने I P एड्रेस को कैसे बदल सकते है ? किसी भी I P एड्रेस के स्थान के बारे मे पता कर सकते है , कि वह किस मोहले मे रहता है आदि ....... | इन सब सवालो का जवाब इस वेब साइट पर मिल जायेगा । I P लोकेशन को आप गूगल मैप पर देख सकते है कि आपको जो इ मेल मिली है, उसके प्रेषक ने किस बिल्डींग में बैठकर मेल किया है ? ओर भी बहुत सी खुबिया है ।

क्यों है न मजेदार वेबसाइट लेकिन एक ही समस्या है कि यह अंग्रेजी भाषा में है । नयी साल आप सब के लिये ढेर सारी खुशीयाँ लाये यही भगवान से कामना करता हूं । अगर आपके पास भगवान का मेल एड्रेस हो तो टिप्पणी में जरूर लिखे ताकि मै आपके लिए नयी साल के आगमन में कुछ सिफारिस कर सकूं | साथ ही आप यहा आये आपका धन्यवाद । इस से मिलता जुलता एक विडीयो देखे ।





Saturday, December 27, 2008

अपने ब्लोग में फेव आइकन लगायें


इस छोटे से उँट को छोटे से खाने मे बैठाने में बहुत माथा पच्ची करनी पडी । इस तरह का झुझंलाहट वाला काम और उपर से मेरे जैसा अनाडी आदमी जो ठीक से ऊंट को बैठा नही सकता है,वह इसकी फ़ोटो को यहा कैसे लगा सका होगा कल्पना कीजिये । अरे साहब सभी हिन्दी ब्लोगो कि खाक छान कर आया हूं । तब कही जाके यह फेव आइकन लगा पाया हू। क्या कहा आप समझे नही है ।अरे भाइ अपने ब्राउजर के एड्र्स बार मे देखिये ये जो रेगीस्तान का जहाज दिख रहा है यही है फेव आइकन अब तो आप समझ ही गये होगें ।
अगर आप भी मेरी तरह फ़ेव आइक्न लगाना चाह रहे है तो शुरु हो जाइये । सबसे पहले तो आप अपनी पसन्द की फोटो सेलेक्ट करें । फिर आप इस साइट पर जाकर ,अपनी फोटो को .icoफ़ोरमेट मे बद्ले वहां आपकी फोटो कि साईज भी बदल दी जायेगी 32x32 पि़क्सल को सेलेक्ट करे वैसे भी ये default रहता है ।वहा से जो फोटो मिले उसे desktop पर डाउनलोड करके सहेज ले । उसके बाद दूसरी साइट पर जायें और वहां रजिस्ट्रेशन करके अपनी .ico formated फाइल को अप्लोड कर दें। वहां से जो url मिले उसे सुरक्षित रखें । अब अपने ब्लोग के डेशबोर्ड मे जायें । ले आउट पर क्लिक करे edit html मे नीचे लिखे को ढूंढे।


इसके ठीक नीचे यह कोड पेस्ट कर दें




इसमें URL of your icon file की जगह वह फोटो यूआरएल पेस्ट कर दें । टेम्पलेट को पूर्वालोकन करें । सन्तुष्ट होने पर सहेजे ।

इस विषय पर हिन्दी ब्लोग जगत पर मुझे दो पोस्ट मिली । पहली सागर नाहर जी की तकनीकी दस्तक पर है । जिसमे समस्या यह आती है कि उन्होनें जिस साइट पर रजिस्ट्रेशन करने के लिये कहा है वह साइट रजिस्टर ठीक ढंग से नही कर पा रही है । दूसरी पोस्ट आशिष जी के ब्लोग हिन्दीब्लोग टिप्स पर मिली। जिसमे जिन साइटो पर फोटो अप्लोड करने के लिये कहा है वे साइट ico format कि फाइल को अप्लोड नही कर रही है । इस लिये मेरी इस पोस्ट को इनके बीच में बनी खिचडी ही समझे मैं कोइ वेब मास्टर नहीं हूं ।

Friday, December 19, 2008

ब्लोगरों के लिये कुछ काम के औजार

Instant Eyedropper वेबमास्टरों के लिये एक मुफ्त और स्वचालित रूप से काम करने वाला सॉफ्टवेयर है | यह स्क्रीन पर किसी भी पिक्सेल के HTML रंग कोड को पहचान कर क्लिपबोर्ड पर HTML रंग कोड को पेस्ट कर देता है। आप अपने चिठ्ठे या वेब पेज का रंग संयोजन सिर्फ पांच मिनट में बदल सकते है ।
Instant Eyedropper मे काम करना बहुत असान है:-

1. सिस्टम ट्रे में इंस्टेंट Eyedropper आइकन पर माउस पोइन्टर ले जाएँ.

2. लेफ़्ट क्लिक कर होल्ड करें, होल्ड किये हुए उस स्थान पर ले जाये जहा से आपको रंग का कोड लेना है।

3. अब वहां माउस बटन को छोड दे । आपका कलर कोड आपके क्लिपबोर्ड में आ चुका है इसे आप कही भी पेस्ट कर सकते है ।
चिट्ठे का रंग बदलने के लिये हमे edit html मे जाना पङेगा । पहले लोग इन करे,dash board >layout>edit html मे जाये। सर्च कमान्ड ctrl +f दबाये । जिस रंग को बदलना है बोक्स में उस रंग का कोड past करे । पेज में जहा आपको कोड मिल जाये उस की जगह नया कोड भर दे । सहेजने से पहले पुर्वावलोकन करें । उसके बाद यदि आप को सही लगे तो सहेज देवें ।

एक बहुत ही काम कि साइट है । कलर पिकर इस पर आप मनपसन्द कलर का html कोड प्राप्त कर सकते है
आप सर्फ़िंग करते करते किसी एसे वेब पेज पहूंचते जिसके रंग संयोजन आपको अच्छे लगते है तो आप इस Eyedropper कि मदद से अपने वेब पेज को भी उसके जैसा बना सकते है ।Instant Eyedropper को आप यहां से डाउनलोड कर सकते है ।


एक दूसरा औजार है वेब मास्टर टूल किट । इसके द्वारा आप अपने पेज पर किसी भी जगह का पिक्सल माप सकते है । जिससे पेज मे कही भी किसी भी विजेट की साइज को बदल सकते हैं । कभी कभी आपके विजेट आपके विजेट कोलम से बाहर निकल जाते है या ज्यादा अन्दर होते है। इस समस्या से निपटने मे यह आपकी मदद करेगा । वेब मास्टर टूल किट को आप यहां से डाउनलोड कर सकते है यह trial version मे है।

Tuesday, December 9, 2008

कंप्युटर के लिये कुछ देशी जुगाड - भाग 2

आपने मेरी पहली पोस्ट मे कुछ जुगाड के बारे में तो जरूर पढा ही होगा। अब जुगाडो पर दूसरी अन्य जानकारी पेश है । पिछले भाग मे संजय बेगाणी जी ने टिपयाते हुए कहा कि आप के जुगाड मे बिजली का खर्चा ज्यादा होगा । आज हम उन डिवाइसो को काम मे लेगें जिन मे बिजली का खर्च बहुत ही कम होता है । पहली डिवाइस है cd/dvd प्लेयर जो कि आजकल सभी घरो मे मिल ही जाता है । इसके पिछे माइक की पिन के लिये छिद्र होता है । इसका चित्र नीचे दिखाया गया है।


इसको जोङने के लिये जो पिन आती है उसे मिनि जैक टू माइक पिन कहा जाता है। इसका चित्र भी नीचे दिया है।



इस
पिन के द्वारा भी आप cd/dvd प्लेयर के sound out पुट फ़ंक्सन को काम मे ले सकते है रिमोट पर माइक का बटन होता है जिसे ओन कर दे और संगीत का आनन्द ले ।
दूसरी डिवाइस में टेपरिकार्डर व रेडीयो है । आधुनिक टेपरिकार्डर में इनपुट के लिये rca socket होता है । इसको जोङने के लिये भी rca to jack pin काम मे आयेगी । सबसे जटिल काम रेडियो को जोड्ने का है जिसमे थोङा ध्यान देना पङेगा सबसे पहले आप रेडियो को खोल ले । उसमे आप वोल्युम कि नोब को देखे । अन्दर कि साइड मे आपको एक कन्ट्रोल लगा हुआ दिखेगा । जिसका चित्र निचे दिखाया है ।

इसमे तीन जगह तार लगे है । अपनी केबल या कोइ भी हेड फ़ोन,इयर फ़ोन कि केबल भी काम आ जायेगी । jack side के सिरे को जो कि कंप्युटर मे जुङता है को सुरक्षित रखे और दूसरे सिरे की तरफ़ से थोङी लम्बाइ पर काट दे काट्ने पर आपको चित्र के जैसा दिखाइ देगा ।



इसमे तीन तार होते है,एक तार जिसे शील्ड वायर कहा जाता है अन्दर बगैर इन्सुलेशन कोटिगं के होता है जबकि अन्य दो तार अलग कलर कि कोटिगं के होते है । शील्ड वायर को पिन न० 1 पर जोङे व दूसरे दो तारो को मिला कर एक कर ले । ओर उनको पिन न० 2 पर जोङ दे । रेडियो को चालू करे व ट्यून इस प्रकार से करे जहा पर किसी भी स्टेशन की फ़्रीक्वेन्शी ना हो ।
अब आप आराम से इस जुगाड पर संगीत का आनन्द ले सकते है ।
special tip :- यदि आप का pc करन्ट मारता है विशेषकर जब आप नंगे पैर cpu की बोडी को छूते है तो आप एक छोटा सा एअर्थ बनाये ओर cpu की बोडी को अर्थ से कनेक्ट कर दे वह करन्ट मारना बन्द कर देगा।

Saturday, November 22, 2008

हिन्दी जगत के नये ब्लोगर और उनकी गलतीयां

मै हिन्दी चिठ्ठाजगत में नया था । आज भी नया हूं ओर नया ही रहना चाहता भी हूं। जो नया है वही सीखना चाहता है पुराने तो केवल सिखाते है । मै आपको सिखाउगां नही । मै बताउगां की मेरे नजरिये से आप क्या गलती करते है । मै जब भी किसी चिठ्ठे पर पढता हूं ओर जो विचार उस वक्त मेरे मन में आते है वही आपके साथ बांटना चाहता हूं।

१- पाठक उन चिठ्ठों पर कम जाना पसन्द करता है , जिनका लोडींग समय बहूत ज्यादा है । साज सज्जा के चक्कर में चिठठाकार भूल जाते है कि सब पाठको के पास ब्रोडबैण्ड नही है।

२-आपका चिठ्ठा आपने बनाया है उसका मकसद क्या है । अगर आप केवल पाठक चाह्ते है तो आप को अपने चिठ्ठे व उसकी प्रविष्टी का हेडीगं कुछ रोचक देना पडेगा । यानी की खोदा पहाड ओर निकले पत्थर ,चुहिया नही वरना असर उलटा भी हो सकता है । लेकिन दूसरी तरफ़ यदि आप यह चाहते है पुराने लिक्खाडो जैसी टिप्पणीयां मिले तो उसके लिये कुछ त्याग करना पडेगा ।मै जिस चीज को त्याग कहता हू । शास्त्री जी उसे निवेश की संज्ञा देते है पूरी जानकारी के लिये उनकी यह पोस्ट पढ सकते है ।

३- आप को कुछ भी नहीं आता ओर फ़िर भी आप प्रसिद्ध होना चाहते है तो एक बहूत ही सुपर हिट फार्मूला है जो कि आजकल फ़िल्म जगत,राजनीति, कोर्पोरेट आदि मे चलन में है। यानी कि किसी प्रसिद्ध चिठठाकार के खिलाफ मोर्चा खोल दें। मै जानता हूं कि यह गलत है लेकिन भाई साहब आप को बिना कुछ किये प्रसिद्धी तो मिल ही जायेगी ।

३- काफी चिठ्ठों मे word verification कर वाया जाता है । उसके चलते पाठक उस पर टिप्पणी असानी से नही कर पाता है ।

४- कुछ चिठठाकार एक गलती ओर भी करते है,वो है टिप्पणी मोडरेशन की । इसके कारण आप पाठक के दिल मे नही उतर पाते आप पाठक के प्रती शंका रखते है ओर आलोचनात्मक टिप्पणीयो को पसन्द नही करते । यही गलती पहले मै भी करता था ।

५-कभी भी रेक के चक्कर मे नही पडे पाठक आपकी रेंक को नही आप की विषयवस्तु को देखकर ही आता है । चिठाजगत का उसूल है कम लिखो, अचछा लिखो,ज्यादा पढो,ज्यादा टिप्पणीयां दो बाकी भगवान भरोसे छोड दो कुछ बाकि रह गया हो तो यंहा पढ़े

Wednesday, November 19, 2008

कंप्युटर के लिये कुछ देशी जुगाड - भाग १

आप सभी ने किसी न किसी जुगाड के बारे में तो जरूर सुना ही होगा। जुगाड शब्द का अर्थ सामान्य भाषा में जोड तोड कर के काम मे लेने योग्य बनाना है । एक जुगाड हरीयाणा मे काफ़ी मशहूर हुआ था । साधारण इंजन को ट्रेक्टर के रूप मे काम मे लेने का जिसमे सामान व सवारीयां ढोई जाती थी । इसका नामकरण कुछ लोगों ने 'मारूता' कर दिया कुछ ने केवल उसे जुगाड ही कहा लेकिन मै जो जुगाड आपको बता रहा हू वह कंप्युटर से संबन्धित है।
आप कंप्युटर का उपयोग गीत संगीत के लिये तो जरूर करते है । कइ बार आप के पास कंप्युटर के स्पीकर नही होने की वजह से आप गीत संगीत का मजा नही ले पाते है।आप नजर दोडायेगें तो आपको घर मे ही जुगाड मिल जायेगा । सबसे आसानी से उपलब्ध होने वाले समान मे tv कैसा रहेगा? जी हां आप tv को कंप्युटर से जोड सकते है इसके लिये विशेष कलाकारी की जरूरत नही है ।
आप को एक केबल की जरूरत पडेगी जो आसानी से बाजार मे मिल जाती है इसे sterio jack to rca केबल कहा जाता है । जिसका चित्र नीचे दिखाया गया है
एक साइड कोकंप्युटर के स्पीकर वाले सोकिट मे लगाये व दूसरे rca के सिरो को tv के av in के audio left व audio right मे कलर कोड के हिसाब से लगाए
tv के रिमोट पर एक बटन होती है जिस पर tv/av लिखा रह्ता है। इस बटन को दबा कर av मोड चालू करे । tv मे आवाज के काफ़ी सारे फ़ंक्सन होते है अपनी पसन्दके हिसाब से सेट करे





tv के रिमोट पर एक बटन होती है जिस पर tv/av लिखा रह्ता है। इस बटन को दबा कर av मोड चालू करे । tv मे आवाज के काफ़ी सारे फ़ंक्सन होते है अपनी पसन्दके हिसाब से सेट करे आगे के जुगाड़ अगली पोस्ट में

Monday, November 17, 2008

कंहा गए गिद्धराज

भारत में पर्यावरण को बचाए रखने में गिद्धों की महत्वपूर्ण भूमिका है । गिद्धों का साफ़-सफ़ाई में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। 90 के दशक के शुरुआत में भारत में करोड़ों की संख्या में गिद्ध थे,लेकिन अब इनके दर्शन केवल तस्वीरों में ही होते है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगले कुछ सालों में एशियाई गिद्ध विलुप्त हो सकते हैं। इसके लिए जानवरों को दी जाने वाली एक दवा को दोषी ठहराया गया है। इस दवा का नाम है diclofenac (डाइक्लोफ़ेनाक)। जी हां ठीक समझे ताऊ की हरी पन्नी वाली गोली । जिसका परचार टीवी पर खूब आता है। यह पशुओं को दर्दनाशक के रुप मे दी जाती है इस दवाई को खाने के बाद यदि किसी पशु की मौत हो जाती है तो उसका मांस खाने से गिद्द मर जाते हैं। सर्वेक्षणों में मरे हुए गिद्धों के शरीर में डायक्लोफ़ेनाक के अवशेष मिले हैं। हालांकि भारत सरकार शुरुआत में कुछ हिचक रही थी लेकिन बाद में वह मान गई कि इस दवाई के कारण ही गिद्धों की मौत हो रही है।
भारत सरकार ने इसे वर्ष 2006 में प्रतिबंधित भी कर दिया। इस प्रतिबंध का कोई ख़ास असर नहीं हुआ। इसके दो कारण थे एक तो भोजन चक्र से इसका असर ख़त्म होने में काफ़ी वक़्त लगेगा दूसरा यह केवल पशुओं की दवा के रूप में बन्द हुइ थी मानवीय दवा में अभी भी बिक्री में है जिसका उपयोग हमारे पशुचिकित्सक मजे से कर रहे है। भारत सरकार से संबद्ध नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ़ ने भी डायक्लोफ़ेनाक पर प्रतिबंध लगाने की सिफ़ारिस की थी। बाद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे स्वीकार कर लिया और डायक्लोफ़ेनाक की जगह दूसरी दवाइयों के उपयोग को मंज़ूरी दे दी। लेकिन डाइक्लोफ़ेनाक की जगह जिस मेलोक्सिकैम नाम की दवा के उपयोग की सलाह दी थी वह डाइक्लोफ़ेनाक की तुलना में दोगुनी महंगी है इसलिए इसका उपयोग नहीं हो रहा है। वैसे तो गिद्ध भारतीय समाज में एक उपेक्षित सा पक्षी है लेकिन सफ़ाई में इसका सामाजिक योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि गिद्धों के विलुप्त होने की रफ़्तार यही रही तो एक दिन ये सफ़ाई सहायक भी नहीं रहेंगे।
वैज्ञानिकों का कहना है कि गिद्धों को न केवल एक प्रजाति की तरह बचाया जाना ज़रुरी है बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी ज़रुरी है। वे चेतावनी देते रहे हैं कि गिद्ध नहीं रहे तो आवारा कुत्तों से लेकर कई जानवरों तक मरने के बाद पड़े सड़ते रहेंगे और उनकी सफ़ाई करने वाला कोई नहीं होगा और इससे संक्रामक रोगों का ख़तरा बढ़ेगा ।
इस जानकारी को आप तक पहूंचाने की प्रेरणा मुझे ताऊ रामपुरीया की इस पोस्ट से मिली है जिसमे उन्होनें कम होते पक्षीयों के बारे में चर्चा की है

Saturday, November 15, 2008

3000 रु में नेट पीसी दिलाएगी BSNL


भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) अपने कस्टमर्स के लिए 3000 रुपए से भी कम में ब्रॉडबैंड कनेक्शन वाला कंप्यूटर देगा। BSNL ने इसके लिए आईटी प्रोडक्ट्स कंपनी नोवार्टियम सॉल्यूशंस से समझौता किया है। इस समझौते की वजह से कस्टमर्स को सस्ती कीमत पर नोवा नेट पीसी मिल पाएगा।
कस्टमर्स को नेट पीसी सिर्फ 2,999 रुपए में मिलेगा,इससे देश में ब्रॉडबैंड कनेक्शन बढ़ेंगे और ज्यादा लोगों तक कंप्यूटर और इंटरनेट की पहुंच होगी।
नोवा नेट पीसी एक सस्ता और उपयोगी डेस्कटॉप है। इसे घर में इस्तेमाल के लिए बेहद यूजर फ्रैंडली बनाया गया है। नेट पीसी की खास बात ये होती है कि इसमें पीसी तो आपके घर में होता है लेकिन कंप्यूटर का स्टोरेज और सॉफ्टवेयर किसी और जगह रखे सर्वर में होता है। इसमें आप अपनी पसंद के सॉफ्टवेयर की डिमांड भी कर सकते हैं। ज्यादा जानकारी के लिये यहा चटका लगायें ।

Friday, November 14, 2008

परीचय एक विशिष्ट व्यक्तित्व का

शेखावाटी में परोपकारी लोगों की कमीं नही है। लेकिन कुछ लोग अपने व्यक्तित्व से उस सीमा तक पहूंच जाते है कि आने वाली पीढियां उन्हे भुला नही पाती । एसे ही एक परोपकारी,विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी थे वैधश्री मोहन लाल जी कानोडिया। मोहन लाल जी सूरजगढ के रहने वाले थे । सूरजगढ,झुन्झुनूं जिले का कस्बा है शेठ लोगों का गांव है। जयपुर से लूहारू जो रेल्वे लाइन है उस पर लूहारू से पहले आता है सूरजगढ, यहा पर अनाज की मन्डी भी है । मोहन लाल जी से मेरा ज्यादा मिलना नही हुवा । लेकिन दो तीन बार की भेंट में ही वे अपने कार्य व व्यक्तित्व की छाप मुझ पर छोड गये । सूरजगढ मे बुहाना चोक के पास उनकी हवेली है । पहली बार मै उनसे मिलने एक रिश्तेदार की दवा दारू के लिये गया था। 9य10 बजे का वक्त रहा होगा जब मैं उनके घर पर पहूचा । काफ़ी मरीज वहां पर बैठे थे । सफ़ेद बनीयान व सफ़ेद धोती बान्धे एक बुजुर्ग बारामदे में उनको आयुर्वेदिक दवाइया दे रहे थे। हमारा नम्बर आया तो हमसे हमारा परीचय किया फ़िर रोग के बारे में पूछा और दवाइयां दी। जब फ़ीसके बारे में पूछा तो मुस्करा के बोले मेरी फ़ीस ज्यादा नही लेकिन कठिन है। आप पहले ठीक हो जाओ, बाद मे ले लेंगे। एक हफ़्ते बाद जब हम दुबारा उनसे मिले तो काफ़ी खुल से गये थे। अपनापनसा लगने लग गया था । देखते ही हमारा नाम लेकर पूछा कैसे हो ? उनकी याददाश्त देख कर मुझे बहूत ही आश्चर्य हुआ । रोजाना उनके पास कम से कम सो मरीज तो आते ही होगें इस हिसाब से सात दिनो मे सात सो हुए उनमें हमारा नाम याद कैसे रख लिया। वो सभी मरीजों व उनके परीजनों को नाम से ही पूकारते थे । यह एक छोटा सा उदाहरण है उनकी याददाश्त का । अबकी बार हम लोग थोडी देरी से गये थे । इसलिये वो थोडे फ़्री लग रहे थे सो मैनें उनसे काफ़ी जानकारी लेली । वो जो दवा लोगॊं को देते थे वो जंगल व खेत खलीहानों से इकठ्ठी करवाते है । अन्य मरीजों को व परीजनों को जिसकी जैसी हैसियत वैसा ही कार्य सोंपते है। जैसे दर्जी को कपडे के बची हुइ कतरने लाने के लिये बोलते थे ताकी उनसे मलहम की पट्टीयां बनाई जा सके। मजबूत शरीर वाले को ओषधीयां कूट्ने पीसने का काम देते थे।उनकी कार्यावधी ८ से १२ बजे तक रहती थी । इस समय दोरान वे मरीजों मे भेदभाव नहीं करते थे। मरीज चाहे किसी भी क्षेत्र,जाती,लिंग,समाज या धर्म का हो उनके लिये मरीज ही होता था। ऐसे निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाले इस युग मे बहूत कम ही होते है। इस महान आत्मा का कुछ वर्ष पूर्व निधन हो गया है। वर्तमान में उनके पुत्र श्री महेश जी कनोडीया उनके ही पदचिन्हों पर चल रहे है। हालान्की मेरी तो अभी तक महेश जी से मुलाकात नही हुइ है लेकिन जैसा की लोगों ने बताया है वे भी बहुत ही परोपकारी हैं।

Sunday, November 9, 2008

हिन्दी ब्लोग और तकनीक

अगर आप तकनीकी रूप से कमजोर है तो आपको कुछ तकनीकी ब्लोगों की खोज करनी पडती है जिसमें जाकिर अली’रजनीश’ जी यह पोस्ट बहुत ही लाभदायक हो सकती है, जिसमें उन्होने लगभग हिन्दी के सभी तकनीकी ब्लोगों की जानकारी लिंक के साथ दी है।
http://tasliim.blogspot.com/2008/09/blog-post_23.html

Friday, November 7, 2008

कंप्यूटर समस्या समाधान व नई तकनीक: वेब कैम एक सुरक्षा युक्ति के रूप मे

कंप्यूटर समस्या समाधान व नई तकनीक: वेब कैम एक सुरक्षा युक्ति के रूप मे यह पोस्ट मेरी लिखी हुइ नही है मैंने तो लिंक ही दिया है इसके लिये अभिषेक आनन्द जी को धन्यवाद दें।

Wednesday, October 1, 2008

भूत प्रेत और अलोकिक शक्तियां

कुछ लोग नास्तीकतावादी होते है। वो भूत प्रेत,देवी-देवता टोने टोटके को महज अन्धविश्वास मानते है। उनके पास इसके लिये अपने ही तर्क होते है। इसके विपरीत कुछ लोग इसको इतना बढावा देते है की विज्ञान टेक्नोलोजीकी उपलब्धीयां बेमानी लगती है
इस पोस्ट को लिखने की वजह आपको इन चीजो के बारे में जानकारी देना है। भूत प्रेतों के बहुत से रूप होते है जैसे जिन्न,शहीद,कच्चा कळवा(छोटे बच्चे की आत्मा),चुडै.,साधु महात्माकी दुष्ट आत्मा इत्यादि मनुष्य के मरने के बाद में उसकी आत्मा को मोक्ष मिल जाता है तो वह नया शरीर धारणकर लेती है जिनको मोक्ष प्राप्ती नहीं होती वे संसार मे विचरण करती है। विचरण करने वाली आत्मायें दो प्रकार की होती है,अच्छी बूरी जिनके कार्य कलाप परेशान करने वाले होते है वो बूरी आत्मायें होती है, और जिनकाकार्य सहायता करना,घर परिवार में सुख शान्ती लाना होता है वे अच्छी आत्मा यानी देवात्मा होती है। शेखावाटी में लोग इन्हे पितर(पित्रस्य) कहते है। पहले हम बुरी आत्माओ के बारे मे बात करते है। इनका विचरण स्थल ५०-१०० कि०मी० से कम ही होता है। और ये सुनशान मकान जो बस्ती के नजदीक होते है उनमें रहते हैं। वह मन्दिरभी इनकी शरणस्थली होती है जिनमें रोजाना पूजा नहीं होती या जिनमें मूर्ती स्थापना बिना पूजा पाठ या गलतमन्त्रोच्चार के साथ हुई हो इन आत्माओं का आवागमन प्राय: किसी माध्यम के द्वारा होता है मीठा भोजन इनकी कमजोरी होती है आप यह सोच रहे होगें कि किस घर या मन्दिर पर बुरी आत्मा का साया है यह कैसेपता चलेगा इसके लिये हमे इनकी कार्यप्रणाली जाननी होगी वैसे आत्माओं का कोइ भौतीक अस्तीत्व नहीं होताहै यह हमारे विचार,मानसिक स्थिती,आर्थिक हालत स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। यदि आपकी आर्थिक हालतकमजोर हो रही है शरीर को कोई एसा रोग लग गया है जिसके लक्ष्ण डोक्टर को समझ में नहीं रहे है,या फ़िर आपकी आय तीव्र गती से बढने लग गई हो साथ ही परिवार की सुख शान्ती बिना किसी वजह के नष्ट हो रही हो तो यह पक्का मानीये की आपके घर में या जिस मन्दिर में जहां आप जाते है वहां बूरी आत्मा कासाया है आम आदमी के लिये यह जानना कि कहां किस पर बूरी आत्मा का साया है,थोडा कठीन जरूर हैमगर असभंव नहीं है चार पैर वाले जानवर यथा कुत्ता,बिल्ली,गाय,बकरी,भैंस आदि इनके प्रती संवेदनशील पायेगये है। इनको बूरी आत्माओं के आवागमन का आभाष मनुष्यों से पहले ही हो जाता है। देवात्मा पित्रस्य हमारेपरिवार की आत्मायें होती है वे सदैव परिवार का भला करती है, हमें उनकी शक्ती को बढाने का प्रयास करना चाहिये ताकी वे बूरी आत्माओं पर विजय पा सके
इसके लिये भजन,कीर्तन,जागरण,जप,हवन,प्रसाद इत्यादि करने चाहिये । प्रसाद का वितरण ज्यादा से ज्यादा लोगों मे होना चाहिये व जागरण कीर्तन, भजन,जप आदि बगैर किसी बाह्य आडम्बर व बिना किसी दिखावे के सादे तरीके से होना चाहिये,तभी उसका लाभ उन देवात्माओं को मिलेगा । ये सब बातें मैं अपने निजी विचार व अनुभव के आधार पर लिखी है जो कि मुझे मेरे वैचरिक गुरु श्री शायर सिंह शेखावत ग्राम कालीपहाडी जिला झुंझुनूं(राज) से मिले है । मेरे गुरुजी बहुतसी अध्यात्मिक शक्तियों के ज्ञाता व पहूचें हुये सन्त है।उन्होनें १९८५ से अन्न का त्याग किया हुआ है केवल दो समय चाय या दूध लेते है। वे राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम में बुकिंग कलर्क के पद पर झुन्झुनूं कार्य करते थे । पिछ्ले साल ही उन्होनेंसेवाकाल पूरा किया है । पूजा पाठ के साथ साथ ही उन्होनें अपने ग्रहस्थ जीवन का भी निर्वाह किया है। वर्तमानमें कालीपहाडी ग्राम के श्री करणी माता मन्दिर में पूजा पाठ करते है। मन्दिर धरातल से काफ़ी ऊंचाई पर एक टीलेपर बना हुआ है । जो एक बार उनसे मिल लेता है उनका मुरीद हो जाता है । देखने में साधारण नागरिक,लेकिनउनकी शक्तियों के बारे में तो उनके नजदीकी लोग ही जानते है।

Monday, September 22, 2008

स्वास्थ्य सम्बन्धी कुछ नुस्खे

क्या आप कील मुंहासो से परेशान है? क्या आप खुजली व चर्म रोगों से परेशान है? आप सोच रहे होंगे कि मै किसी दवा कम्पनी का कोइ प्रोड्क्ट बेच रह हूं। जी नहीं मै यहां आपको स्वास्थ्य सम्बन्धी कुछ नुस्खे बताने जा रहा हूं
। * १-- यदि आपकी उम्र १४ से ३० वर्ष है तो आपको कील मुंहासो से परेशानी हो सकती है घबराइये मत नीचे लीखी बातों का ध्यान रखें । पहली बात तो यह है कि आप चेहरे की चिन्ता करना छोड. दे, रात्री को १० बजे से पहले सोयें । सुबह सुयोर्दय से पहले उठे ,कुल्ला करके भरपेट गुनगुना पानी पीयें। खाना खाने के बाद १ चम्मच त्रिफला चुर्ण गरम पानी या दूध के साथ लेवें। कब्ज यदि ज्यादा हो तो रात्री को सोते समय १चम्मच कायम चुर्ण(भावनगरवाले शेठ्ब्रदर्श का)लेवें। हरी पत्तेदार सब्जीयां व सलाद ज्यादा से ज्यादा भोजन में शामिल करें। केले,चावल,खिचडी,अनार आदी का परहेज करें तले हुये पदार्थ ज्यादा मात्रा में ना खायें। पपीता,सेव,चीकु,अमरूद,मूली आदि कासेवन करें। दूध में एक से चार चम्मच तक केस्टर आयल(अरन्डी का तेल) मिलाकर पियें । नोट:- ये सब आहारविहार,पथ्य कुपथ्य कइ रोगों में काम आतें है जैसे दाद,खाज,मस्सा(बावासीर) एवं वात रोग जैसे जोडो में दर्द ,पेटका आफरा(गैस)इत्यादि के भी यही नुस्खे हैं।






मैं जानता हूं कि ये सब आप पहले भी सुन चुके है अपने बुजुर्गोंसे लेकिन आपको उनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। मेरा दावा है कि एलोपैथी में चेहरे के कील मुंहासो की कोइ कारगर दवा अभी तक नहीं बनी है। मैं इस ब्लोग पर जो भी स्वास्थ्य सम्बन्धी बातें लिखता हूं वो सब मेरा निजीअनुभव है। *२--- कई बार पसीने की वजह से हमारे शरीर के कुछ हिस्सो मे खुजली हो जाती है, और पुरानी हो जाने पर तोआदमी को बन्दर बना देती है। यह खुजली ज्यादातर जांघ में होती है। इसे डोक्टरी भाषा में fungal infection(फंगल इनफेक्सन) कहा जाता है।शहरों की प्रदूषण और भागदोड. भरी जीन्दगी इसके लिये कुछ हद तक जिम्मेदार है। पसीने वाली जगह पर टेल्कम पाउडर डालकर इससे बचाव किया जा सकता है, इन्फेक्सन के बाद इसका इलाजआमतोर पर दाद या अन्य खुजली के रूप में किया जाता है जो कि गलत है। इसके इलाज के लिये आप को कुछदिन तक antibiotic tablet - fluconazole 150mg ,200mg जो भी उपलब्ध हो को दिन मे तीन बारलें व bayer कम्पनी की canesten ट्युब दिन में तीन बार लगावें। यदि infection नया है तो गोली लेनेकी जरूरत नहीं पडेगी केवल ट्युब से ही काम चल जायेगा अन्यथा infection गहराई में हो जाने पर tabletकी खुराक भी लेनी पडेगी।*३--- मस्सा(बावासीर) शुराआती स्टेज में हो तो आप यह प्रयोग कर सकते हैं, सुबह शाम हल्के गरम पानी में गुदाका सेक करें उसके बाद विक्स बाम अन्गुली पर ले कर गुदा द्वार पर लगायें। इससे नसों मे जो गांठे बन जाती है वो पिघल जाती है।मेरी अगली पोस्ट भूत प्रेत,अध्यात्म,व अलोकिक शक्तियों के बारे में होगी आप लोग जरूर पढें।